प्रेरक कहानी: मुश्किल वक्त में चालाकी दिखाना | Mushkil Waqt Mein Chalaki Dikhana
एक Business Man को काफी नुकसान उठाना पड़ा तो उसने कुछ पैसे ब्याज पर उधार लिए। और जिससे उस Business Man ने पैसे उधर लिए थे, उसको वो पैसे वापस लौटा नहीं कर पा रहा था। और पैसे मांगने वाला एकदिन भी रुकने को तैयार न था। पैसे मांगने वाला आदमी बूढ़ा था और उसे, उस Business Man की बेटी हासिल करनी थी शादी करनी थी। इसलिए बूढ़े आदमी ने कहा की मैं सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा अगर तुम अपनी बेटी की शादी मुझसे करवा दो। इस पर Business Man ने मना कर दिया तो बूढ़े आदमी ने एक और ऑफर रखा कि एक काम करते हैं एक गेम खेलते हैं। जिसमे एक छोटी सी पोटली में दो पत्थर डालूंगा, एक सफ़ेद होगा और एक कला होगा।
“अगर Business Man उस पोटली में से सफ़ेद पत्थर निकलता है तो सारा कर्ज माफ़ हो जायेगा और उसे अपनी बेटी की शादी भी नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन अगर काला पत्थर निकलता है तो कर्ज तो माफ़ हो जायेगा किन्तु शादी करनी पड़ेगी,” ऐसा उस बूढ़े आदमी ने शर्त रखी। इस पर बाप और बेटी दोनों सहमत हो गए। पुरे गावंवालों को इकठ्ठा करा मुखिया भी वहां पर देख रहा था।
जमीन से दो पत्थर उठाकर उस बूढ़े आदमी ने पोटली में डाले। लड़की ने देख लिया की उस बूढ़े आदमी ने दोनों ही पत्थर काले रंग के डाले हैं। और काले पत्थर का मतलब हुआ की कर्ज माफ़ होगा लेकिन शादी करनी पड़ेगी। अगर लड़की गेम खेलने से मन कर दे तो शादी से तो बच जाएगी लेकिन बाप का कर्ज माफ़ नहीं होगा। और अगर दोनों ही पत्थर निकालके उस बूढ़े आदमी की बेइज्जती कर दे तो वो आदमी कभी न कभी बदला जरूर लेगा। इसलिए आखिरी रास्ता यही था की कोई भी पत्थर निकालो जो की ब्लैक ही निकलेगा और कर्ज माफ़ के साथ में उसको शादी करनी पड़ेगी।
लड़की ने बड़ी ही चालाकी से गेम खेला उसने एक पत्थर निकाला और एक्टिंग करके ग्राउंड पर गिरा दिया। जमीन पर गिरते ही वो पत्थर निचे गिरे बहुत सारे ब्लैक और सफ़ेद पत्थरों में मिल गया। लड़की ने चालाकी दिखते हुआ कहा की ये मेरा से गलती से गया, लेकिन एक काम करते हैं दूसरा पत्थर भी पोटली से निकल करके चेक कर लेते हैं। अगर पोटली में से अब सफ़ेद निकला तो मैंने जो उठाया था वो ब्लैक था, और अगर पोटली में से अब ब्लैक निकला तो अब मैंने जो उठाया था वो सफ़ेद था। वो बूढ़ा व्यक्ति वहीँ पर फंस गया अब पोटली से दूसरा पत्थर निकाला तो वो ब्लैक निकला। यानि की निचे गिरा हुआ पत्थर सफ़ेद था। और ये पूरा गावों देख रहा था मुखिया भी देख रहा था की अब कर्ज माफ़ हो चूका है और शादी भी नहीं करनी पड़ेगी। क्योकि जो पत्थर नीचे गिरा दिया था वो सफ़ेद था।
इसे कहते हैं मुश्किल परिस्थिति में चालाकी से दिमाग चलना।